दिल का दर्द
दिल का दर्द
रात का सुकून दिन का चैन गवा बेठे हैँ
जबसे हम दिल लगा बेठे हैँ |
देखलो अब ज़िदा लाश बनकर घूम रहे हैँ
दिल टूटने की मातम मैं झूम रहे हैँ ||
दुनिया मैं इतना खेल होते हुए भी लोग
दिलसे क्यों खेल जाते हैँ ??
किसीके करीब जाकर दूर होने मैं
ना जाने कौनसी खुशी पाते हैँ |||
अच्छा नहीं लगता अब ऐसे बनाबटी
दुनिया में घुट घुट कर जीने मैं,
कितने साज़िशें छुपा रखें हे लोग अपने सीने मैं ||||
रो लेता हुँ, आँखें नम होजाती हे
कम से कम दिल का दर्द कम होजाता हे,
सच कहते हैँ दिल मैं बसने वाले अक्सर होते
हैँ बेदर्द, बेरहम, बेवफा, हरजाई
हम ने भी ये तब जाना जब चोट ज़िगर पे खाई ||||||
