डिअर ज़िन्दगी
डिअर ज़िन्दगी
यह ज़िन्दगी है कई रंग दिखलायेगी
कभी खुशियोँ का खज़ाना तो कभी,
गम का तहखाना दिलाएगी ।
नयी नवेली दुल्हन तो कभी,
बेवा की सूनी मांग बन जाएगी
यह ज़िन्दगी हे कई रूप दिखाएगी।।
कान्हा की बांसुरी तो कभी,
नटराज की तीसरी आँख बन जाएगी।
इंद्रधनुषी रंग तो कभी टूटता तारा बन जाएगी,
यह ज़िन्दगी हे कई रंग दिखलायेगी।।
कभी गीता का सास्वत सत्य तो कभी,
क़ुरान का पाक जुबानी बन जाएगी,
जानी दुश्मन तो कभी जानशीन कहलाएगी,
यह ज़िन्दगी हे कई रंग दिखलायेगी।।
पहली मुस्कुराहट तो कभी आख़री सांस बन जाएगी,
इत्तेफ़ाक़ तो कभी गहरी चाल बन जाएगी।।
शतरंज सी है यह ज़िन्दगी,
कोई खेल खेल जाएगी,
कभी शह तो कभी मात देजाएगी,
अमावस की काली रात तो कभी
पूनम की चाँद बन जाएगी
यह ज़िन्दगी हे कई रंग दिखलायेगी।।