मज़दूर
मज़दूर
हम मज़दूर हैँ, हालात के हाथों मज़बूर हैँ
सर पे परिवार का बोझ लिए,
काँधे पे हतियार लिए हम चल पड़ते हैँ,
नव भारत की निर्माण की और बढ़ते हैँ।
कड़ी मेहनत का हमको मिला हुआ हे बरदान
देश की तरक्की मैं हमारा भी हे अहम् अबदान।
हमसे नफरत करने वालों गौर से सुनो
हम ऊँची ऊँची ईमारत बनाते हैं,
जँहा तुम लोग डेरा जमाते हो,
हम पुल बांधते हैँ, जिस के उपर तुम,
अपनी महंगी गाडी दौड़ाते हो,
मशीन के साथ मशीन बन जाते हैँ
हम मज़दूर अपने पसीने की खाते हैँ।
जब जब मज़दूर दिवस आता है
बस एक राष्ट्रीय अवकाश बन रह जाता है
हक़ के लिए हड़ताल करनी पडती हे,
और तुम लोग हमें कुछ झूठी उम्मीद देकर
हमारी आवाज़ दबा देते हो,
हम सर्वहारा तुम पूँजीपति कहलाते हो।
हम बेबस मज़दूर हैँ
दो वक़्त की रोटी के लिए
हम अपनी जन्म भूमि से दूर हैँ।
