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Sushree sangita Swain

Abstract

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Sushree sangita Swain

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खूबसूरती

खूबसूरती

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 मन की आँखों से देखोगे तो

 कीचड़ का खिलता कमल हूँ 

 तड़कता भड़कता गीत नहीं 

 हृदयस्पर्शी गजल हूँ ।।

 शर्मो हया  की सदा बहार मूरत हूँ, 

 मन की आंखों से देखो तो, 

 बेइन्तेहाँ खूबसूरत हूँ।।

 सादगी जेवर मेरा, सोहलियत की तेवर रखती हूँ

 मैं अपनी हुस्न की खबर रखती हूँ

 सँवरती नहीं मैं अपनी श्रृंगार को सरल रखती हूँ 

 आइना हूँ दिल में कहां कोई राज़ रखती हूँ

शिकवा नहीं तारीफ में मेरे गर कोई ना लिखें 

शायरी, ग़ज़ल  या फिर किताब 

मैं तो अपने आप में ही मगरूर रहती हूँ।


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