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Krishna Sinha

Abstract

3  

Krishna Sinha

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काश

काश

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काश कोई ऐसी 

तस्वीर ना होती,


बिना रोटी के कोई

बूढ़ी माँ नहीं सोती....


आँखो के कोर

इंतज़ार में भीग कर

सूखे ना होते,


काश कोई ऐसी

मजबूरी ना होती....


खुशियों की होती सौगातें,

दर्द की कोई बातें 

ना  होती.... 


काश कोई ऐसी

तस्वीरें ना होती..... 


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