STORYMIRROR

Krishna Sinha

Romance

3  

Krishna Sinha

Romance

यूँ ही

यूँ ही

1 min
170

यूँ ही अपनेपन का आभास होता है

यूँ ही खुशनुमा अहसास होता है

यूँ ही कुदरत की इनायत होती है,

यूँ ही बात से बात होती है,

यूँ ही शुरू होता है सिलसिला मोहब्बत का,

यूँ ही दोस्ती की शुरुआत होती है,

यूँ ही हर प्यारी बात होती है,

यूँ ही दिन, यूँ ही रात होती है,

यूँ ही... यूँ ही... हाँ यूँ ही।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance