मेरा प्यार मेरी कविता
मेरा प्यार मेरी कविता
मेरी कविता से तुम अपने प्यार यूं अमर होने दो,
लौ की भांती तुम मेरे ज़ीवन में भी उजाला भर दो,
कविता बन तुम मेरे दिल मे अब खुद को बसने दो,
मेरी कविता से तुम अपने प्यार यूं अमर होने दो ।
ज़िंदगी पल दो पल के लिए हैं, खुशी से उसे ज़ीना तुम सीख लो,
कल होगा क्या ये पता नहीं तो आज़ को ज़ीना मत छोड़ दो,
प्यार के बदले गर दर्द भी मिले, तुम प्यार करना न छोड़ दो,
फूलों भरी राह में काँटे मिले तो भी आगे बढ़ना मत छोड़ दो,
मेरी कविता बन तुम अपने आप को इस दिल मे तो समा दो,
लौ की भांती तुम मेरे ज़ीवन में भी उजाला भर दो,
कविता बन तुम मेरे दिल मे अब खुद को बसने दो,
मेरी कविता को तुम अपने प्यार से अमर होने दो ।
मेरे बागियों में खिले हर पुष्प को तेरा नाम देने दो,
मेरे दिल में बसकर मेरे धड़कन को अपना तुम नाम दो,
मुझमें तुममें और मुझे तुझ में बसने की कोई राह दे दो,
मेरी महोब्बत को कभी भी सरे आम रुसवा ना करने दो,
तुम मेरे दिल में बसकर मेरे प्यार को अमर होने दो,
लौ की भांती तुम भी मेरे ज़ीवन में उजाला भर दो,
कविता बन तुम मेरे दिल मे खुदको अब बसने दो,
मेरी कविता को तुम अपने प्यार से अमर होने दो । ।

