Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Ram Binod Kumar 'Sanatan Bharat'

Romance

4  

Ram Binod Kumar 'Sanatan Bharat'

Romance

पहली मुलाकात और बातें

पहली मुलाकात और बातें

3 mins
466


पहली मुलाकात और उसकी खुशियां,

याद करें आप भी तो साझीदार थे।

मन का गदगद होना ,और वह मुस्कान,

आत्मविश्वास और एक दूसरे पर भरोसा।

देर तक बातें करना ,ना कोई थकान,

समय की अब तो कोई खबर नहीं ,

बस सारी बातें खत्म, करने की जुनून।

यह भी आमने-सामने कि नहीं ,

सोशल मीडिया की मुलाकात।

चित्रों में ही दिलों को देखना,

इससे ही मन की खूबसूरती जानना।

फिर व्हाट्सएप वॉइस कॉलिंग से,

पहचानना एक दूसरे की आवाज।

फिर भी जब आपका जी ना भरे,

वीडियो कॉलिंग से दूसरे का दीदार।

वो दिन-रात,बातें, खुशियां वो पल,

चेहरे की शांति ,मन की हलचल।

फिर अक्सर मेरे सपने में भी आना,

मेरे रग-रग में पूरा रच-बस जाना।

गुजर गए दिन ,महीने ,और साल,

ऐसे गुजरा मानो गुजरा एक पल।

बीतते अच्छे दिन,खुशियां बरसने लगी,

सोचा हो गया सदा के लिए दुखों का अंत।

फिर बढ़ता गया यह सिलसिला,

सपने भी लेने लगे ऊंची उड़ान।

हम जीने लगे, दूसरी दुनिया में,

हो गई मेरी, यह दुनिया रंगीन।

अब तो जीवन में कोई गम ना होगा,

खिलते रहेंगे सदा, खुशियों के फूल।

बरसता रहेगा यूं ही, शांति और आनंद,

पर प्रकृति का यह कैसा नियम है ?

सब कुछ सदा एक ,जैसा नहीं रहता ।

आई वह घड़ी जब मेरी खुशियों को भी,

शायद मेरी ही खुद की नजर लग गई।

कहते हैं रक्षा में ही, हत्या का हो जाना,

सुधारने की कोशिश में, बिगड़ता गया।

मेरा प्रेम मानो चाइनीज, इलेक्ट्रॉनिक का,

कोई घटिया सा सस्ता, सामान ठहरा।

जितना ही ठीक करने की कोशिश की,

उतना ही वो तो ,और टूटता चला गया।

मेरी आराध्या हमसे ही, नाराज हो गई,

जिन्हें मैं आज भी लगन से पूजता हूं।

मेरे मन मंदिर में उनकी, मुरत बसी है,

पर अफसोस-न जाने क्या हो गया ।

सोचा था क्या ,और अब क्या हो गया,

अब कैसे-क्या -कितना मैं यतन करू,

कैसे किसतरह फिर जीत लूं उनका मन।

कैसे बनूं मैं उनका फिर से रमन,

अब तो दिन- रात बरसे मेरा नयन।

पहली मुलाकात और उसकी खुशियां,

याद करें-आप भी तो भागीदार थे ।

अब तो सदा ईश्वर के साथ-साथ,

आपसे भी सदा यह विनती है मेरी।

मैं भी तो इंसान हूं, गलतियों का पुतला,

परंतु मन का, मै कभी दगाबाज नहीं हूं।

जो कुछ भी किया, सब तेरे भले के लिए,

इसमें मेरी और कोई अन्य खता नहीं है।

होता मेरे लिए संभव, सीना चीर दिखाता,

पर उफ्फ ! मुझ में इतनी शक्ति है कहां।

फिर भी मैं एक -एक बात बताता हूं,

मन तेरे सिवाय कहीं और जाता नहीं।

मेरे हो ईश्वर और आराध्या भी तुम्हीं ,

ध्यान करता तुम्हें, नित दिन पूजता हूं।

रोज तुम्हारे लिए ही नया जन्म लेता हूं,

हर शाम को तुम्हें याद करते - करते,

रोज तुम्हारी यादों में ही मर जाता हूं।

रोज तुम्हारे लिए ,नया जन्म लेता हूं,

पहली मुलाकात और उसकी खुशियां,

याद करें-आप भी तो साझेदार थे।

बातें बहुत शायद खत्म ही ना होगी,

रुको अपनी दौड़ से, एक पल विचारो।

मैं भी खड़ा बस-केवल तेरी आश में,

अब बिखर गया हूं तिनका - तिनका।

कहीं उड़ न जाऊं गमों के झोंकों से,

मुझे बांध लो-मुझे भी थोड़ा सवांरों।

पहली मुलाकात है और खुशियां,

याद करें-आप भी तो साझेदार थे।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance