दुनियावी वेम्पायर
दुनियावी वेम्पायर
वेम्पायर हमारी जिंदगी के !
वेम्पायर हमारी कल्पना भी, हकीकत भी।
यह भावना, उर्जा, कुशक्तिपुंज प्रवाह है ।।
जहां चांहे मिल जाए, भटकी हुई राह है।
डरते लोंग, निज दुनिया की शहंशाह है।।
पूरब हो या पश्चिम, पूरी दुनिया में नाम है।
खून चूसना मार डालना,इसका काम है।।
वेम्पायर इस दुनिया की !
रात को आती है यह, सबको डराती यह।
कल्पना ही कल्पना में डंका बजाती यह ।।
शायद किसी ने देखा, बहुतों ने देखा नहीं।
फिर भीअंधेरी रातों ख्वाबों में आती यही।।
कहीं मांस खाती नोंच, अंदर घुस जाती है।
मार डालने खून पीने में, नहीं शर्मीती है।।
काल्पनिक वेम्पायर इस दुनिया के !
कोई कहता हकीकत, थे जीवित ऐसे लोग।
राक्षस, बेताल, ड्रैकुला,पिशाच आदि नाम।।
फिल्म वालों ने तो इसे हीरो भी बनाया है।
कितने हॉरर फिल्में में ड्रैकुला नचाया है।।
नाचा है वेम्पायर और गाना भी तो गाया है।
फिर रास रचाया और मार के भी खाया है।।
वेम्पायर इस नई दुनिया के !
अब आपको इस दुनिया की चलते-फिरते,
जिंदे वेम्पायर की सच्ची कहानी सुनाता हूं।
साथ सोता- बैठता, साथ आता-जाता हूं।।
आइए ड्रैकुला की अब कहानी सुनाता हूं।
टांग मेरी खींचता, कान नहीं पकड़ता है।।
उसे समझाऊं तो मुझ पर ही अकड़ता है।
कुछ अच्छा करूं, मेरे हाथ भी पकड़ता है।।
वेम्पायर मेरी दुनिया के !
मत पूछो कितनी मेरी खून पी जाती है।
दिन- रात मेरा सर खा -खा के सताती है।।
अच्छा लग जाए उसे, दूर कभी न जाती है।
जाती तो घूमफिर कर, पास आ जाती है।।
रात भर जगाती और देर तक सुलाती है।
जाऊं न पास इसके आंख मार के बुलाती है
वेम्पायर मेरी दुनिया की !
थोड़ा कमाऊं फिर भी, खर्चा खुब कराती है
जहां इसका मन करें, लेकर चली जाती है।।
पहले डफली बजाती, फिर ठेंगा दिखाती है
गीत सुना सुला के, मेरे खून चूस जाती है।।
मैं कतराऊं तो फिर बड़े प्यार से बुलाती है।
पास जाने पर फिर जम के बैंड बजाती है।।
वेम्पायर मेरी जिंदगी के !
धोखा खाऊं बार-बार फिरभी पास जाता हूं
मैं मीठी-मीठी बातों में उसका हो जाता हूं।।
फिर एक लात मुझे, कसके पीछे लगाती है।
बार-बार खाकर भी, ठिकाने नहीं आती है
थोड़ी देर याद रहे फिर जल्दी भूल जाता हूं
बस थोड़ी वह हवा दे दे मैं पुआ हो जाता हूं
वेम्पायर मेरी जिंदगी के !
मुझे बस सताता अपनी मांगे मनवाता है।
आनाकानी करू तो, मेरे कान पर बजाता है
छोड़ने को धमकाता, नानी याद दिलाता है
पानी पिला करके मेरी डाइटिंग कराता है।
वेम्पायर इस नई दुनिया का !
बस चाहुं मैं सुबुद्धि मिले,वैम्पायर पहचानूं
दुनिया-समाज, मित्र और अपने ही मन से।
कान पकड़कर उसे मैं सब को दिखाऊं।
इस वेम्पायर की बातें मैं सबको बताऊं।
बस यही बातें बहुत अब कितनी बताऊं।
आप भी समझे वेम्पायर को, और भगाएं।