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Ram Binod Kumar

Abstract Classics Inspirational

4  

Ram Binod Kumar

Abstract Classics Inspirational

अल्फाज

अल्फाज

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इन पत्थर दिलों का क्या कहना,

यह किनकी सुनते हैं ?

हम जिनकी खिदमत में लिखते हैं,

वही फाड़- फाड़कर फेंकतें हैं।।


दिल में अरमानों की सजी है दुनिया,

कुछ दिल को भुनाने को, कुछ तुझे पाने को।

आंख खुलते ही, तेरे बदन की खुशबू आई।

रात भर मैंने तुझे ख्वाब में देखा था।


मतलब की दुनिया में कौन किसका होता है,

धोखा वही देता है, जिस पर भरोसा होता है।

समां को जलाए रखना, रास्ते में दूर तक रात होगी।

हम भी मुसाफिर हैं, तुम भी मुसाफिर हो,

फिर किसी मोड़ पर मुलाकात होगी।।


जो बेवफाई का इल्जाम दे रहे हैं मुझे,

अगर वह देखते मेरी मजबूरियां तो रो देते।

लास जिसकी बे कफन,

सड़ती रही फुटपाथ पर।


वह हमारे अदद के,

मशहूर फनकारों में था

मेरे लिए अब कोई इल्जाम ना ढूंढो,

चाहा था तुझे, एक यही बस इल्जाम बहुत है

पत्थर खाकर हम चुप रहे, तो नतीजा यह हुआ,

हर गली में पत्थर के बोल- बाले हो गए।


मैं तेरे दिल के ऐसे सफर में हूं,

दिन-रात चलता हूं मगर घर के घर में हूं।

ऐ रात ! मुझे मां की तरह गोद में ले ले,

यार की बेवफाई से बदन टूट रहा है।


तेरी बातों ने हरे कर दिए मेरे दिल के जख्में बातें,

न जाने क्या दुआएं मांगता था,

तुझे घर बुलाने को।

मैं सारे जहां के दिल से वाकिफ हूं,

हर दिल का पत्थर मेरी निगाहों में है।


प्यार के रास्ते पर चल कर, आ सको तो आ जाओ।

मेरे दिल के रास्ते में कोई कांटे नहीं है।

सवाल करके मैं खुद शर्मिंदा हूं,

जवाब देकर मुझे और शर्मनाक ना कर।


मैं बेवफाई का इल्जाम भी दूं तो किसको दूं,

तुमको दूं , या फिर इस दुनिया को दूं।

तमाम उम्र मुझे तेरे प्यार ने लूटा है,

अगर यह शीला है प्यार का,

तो कोई बात नहीं।

हमने अपनी जिंदगी, तेरे कदमों में डाल दी,

अबे "राम "ही जाने, क्या होगा, क्या ना होगा ?


आज तक तेरे दिल मेरा में, मेरा दिल लावारिस ही रहा,

लोग कहते हैं, कि तुम जमाने के सबसे बड़े दिलदार हो।

मेरे दिलदार तुम्हें भी रहना है, इसी दिल में,

यह सोचकर तुम इस में, आग लगाने की कोशिश ना कर।

मुझे तो तेरी खुशियां लगे, अपनी सी,


कैसे होते हैं वो इंसान, जो कि जलतें हैं।

नफरत की छूरी, और मोहब्बत का गला है,

फरमाइए यह दुनिया का कौन सा रवा है।

जो चमक देखी मैंने, आपके आंखों में साथी,


ऐसी कोई मोती, बादशाहों के खजाने में नहीं।

तुम चंदा की चांदनी, और सूरज की रोशनी,

तुम्हारे सिवा, मुझे बहारों से क्या काम ?

बस तेरी सूरत, बसी रहे मेरी निगाहों में,


फिर मुझे, जन्नत की नजरों से क्या काम ?

जब तुझे, अपनी दुनिया से इतना दूर देखा,

जुदाई के सदमे से, अपना दिल चूर देखा।

निराला मोहब्बत का, ऐसा दस्तूर देखा,

वफा करने वाले को, इतना मजबूर देखा।


प्यार तो करना मेरे मन मगर, दिल लगाना नहीं यहां,

हसीनों की गलियों में जाना नहीं।

नजरों पर चढ़ा कर, गिरा देते हैं वो,

सपना समझ कर भुला देते हैं वो।


मेरे पास से गुजरे, मगर हाल तक न पूछे,

तो हम कैसे माने कि वह दूर जाकर रोएं।

अगर वह मेरे अल्फाज को समझे, तो यह मायने है,

अगर वह नहीं समझे वही तो बस लाईनें हैं।


गए वो दिन, जब सीने में दिल धड़कता था,

अब तो दिल की जगह मशीनें भी धड़कता है।

दीवार क्या गिरी, मेरे दिल की मकान की,

कि लोगों ने अब, मेरे दिल में रास्ते बना दिए।


यह दिल में कैसा, मंजर दिखाई देता है,

हरेक हाथ में अब खंजर दिखाई देता है।

अब खरीदे जा रहे हैं दिल के आंसू,

गमों की भी, तिजारत हो रही है।


जिस दिल में, कोना-कोना भी खाली नहीं,

उस दिल के शहर में रहने को मकान ढूंढ रहे हो।

कहीं से ढूंढ के ला दे, दिलदार मेरे दिल,

जिसके साथ, जिंदगी गुजर जाए मुस्कुराने में।


मेरे यार ! मुझे याद रहेगा सदियों,

यहां जो हादसे, मेरे दिल में होते हैं।

रोज पत्थर, मेरे दिल पर गिरा करते हैं,

फिर भी ए दिलवर ! मैं तुझे रोज याद किया करता हूं।


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