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Ram Binod Kumar 'Sanatan Bharat'

Inspirational Children

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Ram Binod Kumar 'Sanatan Bharat'

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परी राजकुमारी 'श्यामा'

परी राजकुमारी 'श्यामा'

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एक समय की बात है। एक बार परीलोक में परियों की रानी ने सभी परियों को बुलाया, सबके बीच एक प्रश्न रखा।

"क्या आप लोगों को ज्ञात है, की धरती लोक पर सबसे अच्छा बालक कौन है ? "

कौन है जो जल्दी जगता है ? प्रातः जगने पर 'उषा पान' करता है। अपने दांतो की अच्छी तरह सफाई रखता है। नित्य व्यायाम और प्राणायाम करता है । नाश्ते में अंकुरित अनाज ,दूध और फल आदि लेता है। भूख से थोड़ा कम भोजन करता है। कभी ज्यादा रोता नहीं, अपने अध्ययन में मन लगाता है। अपनी दिनचर्या का ध्यान रखता है, पढ़ना ,खेलना खाना आदि हर काम समय पर करता है। वह कौन है ? उस बालक की खोज कि जाए।

सवाल तो बड़ा रुचिकर था, परंतु अब कैसे उसे ढूंढा जाए ?

उन परियों मे ही ,एक " श्यामा " नाम की परी राजकुमारी थी, जो काफी मेहनती और होनहार थी। उसने उस बालक की तलाश जारी रखी ।

एक दिन वह परी लोक से निकलकर आसमान से धरती को निहार रही थी। आसमान से उसे धरती बहुत ही सुहानी लगी ‌। हरी -भरी धरती, उसमें रंग- बिरंगे फूल, झूमते हुए पेड़ -पौधे, नदिया- झरने, रंगीन चमकीली रंग- बिरंगी तितलियां, फूलदार टोपियां पहने नन्हे -मुन्ने बच्चों से भरी यह धरती उसे बहुत ही अच्छी लगी। ऐसे ही खुशी से इतराती हुई वह धरती को निहार रही थी, तो अचानक एक जगह उसकी नजर ठहर गई। लगा जैसे उसकी तलाश पूरी हो गई।

उसने देखा एक सुंदर सा बालक अपनी दादी मां को, कहानी पढ़कर सुना रहा है। आपने दादी मां को' टिपटिपवा की कहानी' सुना रहा था। एक पंक्ति पढ़ता और फिर अर्थ सहित विस्तार में उसे अपनी दादी मम्मा को समझाता। पास में ही उस बालक का छोटा भाई बैठा था । जो ध्यान से कहानी सुनकर खुश हो रहा था। श्यामा का मन भी मचल उठा, उसकी भी इच्छा कहानी सुनने को हुई।

बरबस वह भी आंगन के ऊपर पहुंच गई।

बडे़ ध्यान से बालक द्वारा सुनाई जा रही कहानी को सुनने लगी। कहानी और बालक की आवाजों का उस पर जादू सा असर हुआ। वह कुछ पल के लिए परी लोक को भी भूल गई।

अभी श्यामा इस धरती और दुनिया के बारे में सोच रही थी, तभी उस बालक के बाबू जी घर आए, जो अपने साथ फल लेकर आए थे। दोनों भाइयों ने फलों का स्वाद लिया। छोटी माता जी ने दोनों के मुंह साफ किए। बड़ी माता जी आई और बालक को खाना खाने को बोली, पर अब उस बालक को भूख कहां थी।

फल से ही दोनों भाइयों का मन भर चुका था।

तभी दादा जी भोजन के लिए बैठे। दादा जी को बैठते देख दोनों भाइयों की भूख जग गई।

अभी दोनों भाइयों का मन खाने को हुआ। दोनों ने दादा जी के साथ खाना खाया। कुछ देर बाद दोनों बालक को नींद सताने लगी। दोनों अपने दादा- दादी के गोद में चैन से सो गए। यह सब देख कर श्यामा का मन पुलकित हो गया। वह सोचने लगी, यहां तो हमारी परी लोक से भी अच्छी सुविधाएं एवं खुशियां है। मुझे अब यहीं रहना है, मुझे भी ऐसे दादा- दादी, सुंदर बालक सा भाई, माता जी और अच्छे बाबूजी चाहिए।

वह अपनी दुनिया लौट गई। जहां उसने परी रानी से बताया, कि जिस बालक का जिक्र उन्होंने किया था, उसे हमने ढूंढ लिया है। अब मैं उसी के साथ ,उसी की दुनिया में रहना चाहती हूं। मैं अपने उन दोनों भाइयों के बिना नहीं रह पाऊंगी। यहां उनके बिना मेरा मन बिल्कुल नहीं लगेगा।

अच्छा तो बताओ, उस प्यारे बालक का नाम क्या है ?

उस सुंदर से प्यारे बालक का नाम " गीर्वाण "है।

परी रानी ने खुशी-खुशी उसे धरती पर आने की आज्ञा दे दी।

अब वह परी राजकुमारी" श्यामा "नन्ही परी के रूप में अपने भाई के साथ इस धरती पर आनंद से रह रही है ।



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