नेता ही आजकल हमारे भाग्यविधाता हो गए हैं। नेता ही आजकल हमारे भाग्यविधाता हो गए हैं।
छानी परवा हे चुहत , जोरा करलौ थोर। छानी परवा हे चुहत , जोरा करलौ थोर।
बस कागज में रहा सम्मान, पीटता देखा आज किसान। बस कागज में रहा सम्मान, पीटता देखा आज किसान।
मन कहता अंतिम अवसर दे उनको, शायद अब की बात बन जाये। मन कहता अंतिम अवसर दे उनको, शायद अब की बात बन जाये।
बड़े आदमी बन जाओ तो तुम्हारी खूब बड़ाई हो बड़े आदमी बन जाओ तो तुम्हारी खूब बड़ाई हो
तेरे दो वक़्त का खाना तीस रुपयों से ज्यादा का पड़ेगा !" तेरे दो वक़्त का खाना तीस रुपयों से ज्यादा का पड़ेगा !"