मजबूर किसान हँसता जहान
मजबूर किसान हँसता जहान
पेट पालकर पूजक बनते
दुनिया की कभी ना परवाह करते
भूल गए वो बम्ब आँसू के चलाने वाले...
की गर्मी से कभी किसान नहीं डरते
नरमी नहीं वो गर्मी दिखता था,
जब मजबूर किसान लगान चुकाता था
मिट गया उसका नामो-निशान,
क्या आज भी जिंदा है भगवान ?
शांति दूतों का करो सम्मान,
चाहे गीता पढ़ो या महा पुराण
बुद्धिमानी देश का राजा,
भुला किसलिए ताज विरजा
बस कागज में रहा सम्मान,
पीटता देखा आज किसान।