कैसा तलाक
कैसा तलाक
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मेरी बीवी ही, मेरा अभिमान है।
उसका सम्मान, मेरा ईमान है।।
छोड़ा उसने, सब कुछ अपना।
हर-पल रखती, ध्यान है ।।
दिल खोलकर, आज कहूँ मैं।
वो बीवी नहीं, जहान है।।
मेरी बीवी ही, मेरा अभिमान है।
उसका सम्मान, मेरा ईमान है।।
वक़्त कभी नहीं, देखा जिसने।
की कौन कितना, बेईमान है ।।
पल-पल उन्न्त, कर्मों में जलती।
वो त्याग नहीं, बलिदान है।।
मेरी बीवी ही, मेरा अभिमान है।
उसका सम्मान, मेरा ईमान है।।