प्रार्थना
प्रार्थना
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अपने कर्मो को ऐसा बना लेंगे हम
मिली भलाई तो सर को झुका लेगें हम
अभिमानी न होता जगत में बड़ा
इंसान का रब से है नाता जुड़ा
अपनी संगत को ऐसे सजा लेंगें हम
हर बुराई से खुद को बचा लेंगे हम
मिले उन्न्त जो शिक्षा हो बेहतर कर्म
नियति का पालन ही अपना धर्म
न रुके अब कभी जो बढ़े है कदम
हो शक्ति का भक्ति से अद्भुत मिलन
अपनी नीयत को ऐसी दिशा देंगे हम
गूँजे गुणगान जिसका जन्मों जन्म
अपने कर्मो को ऐसा बना लेंगे हम
मिली भलाईं तो सर को झुका लेगें हम।