Mahesh Kumar
Action Crime
यहाँ चोर-चोरी समझता नहीं,
वह अक्सर समझाना पड़ता है।
कानून की किसको जरूरत है,
मगर समाज बचाना पड़ता है।
पहल की भूल
प्रार्थना
समाज
घर की रानी
जलन
गीत: दौर-ए-मु...
कैसा तलाक
नाप-तौल
(गीत: माँ हिं...
मजबूर किसान ह...
जीवन की हर छोटी चोट जीवन के सत्य सिखाती है जीवन की हर छोटी चोट जीवन के सत्य सिखाती है
किसी का बाप मरता है कोई शौहर को खोता है, यहाँ परिवार न टूटे तो जंग रुकवाना ज़रूरी है। किसी का बाप मरता है कोई शौहर को खोता है, यहाँ परिवार न टूटे तो जंग रुकवाना ज़र...
एक बासंती चोले में, ढाल दे वसुधैव कुटुंबकम में। एक बासंती चोले में, ढाल दे वसुधैव कुटुंबकम में।
इस समाज के लिए अत्यंत सराहनीय एवं प्रशंसनीय है!!! इस समाज के लिए अत्यंत सराहनीय एवं प्रशंसनीय है!!!
जीवन सतत् हार का सिलसिला है! सत्यवादी का कहते पेंच ढीला है! जीवन सतत् हार का सिलसिला है! सत्यवादी का कहते पेंच ढीला है!
मेहनत करता जा ओ राही मेहनत करता जा मेहनत करता जा ओ राही मेहनत करता जा
जिंदगी की हर बात में हाँ कि खुशी और ना का गम ही क्यों होता है। जिंदगी की हर बात में हाँ कि खुशी और ना का गम ही क्यों होता है।
बहुत अच्छा लगता है खुले आँखों हमें ख्वाब देखना बहुत अच्छा लगता है खुले आँखों हमें ख्वाब देखना
ज़रा समझें दूसरों का भी दुःख-दर्द, केवल खामियाँ ही न निकालते फिरें बेसिरपैर ज़रा समझें दूसरों का भी दुःख-दर्द, केवल खामियाँ ही न निकालते फिरें बेस...
दरवाजे बंद, घर सूना है क्यों? क्या हुआ है सखी, क्या तेरा मन मौन? दरवाजे बंद, घर सूना है क्यों? क्या हुआ है सखी, क्या तेरा मन मौन?
धरती जैसे चलती रहती ! नदिया जैसे बहती रहती ! धरती जैसे चलती रहती ! नदिया जैसे बहती रहती !
पानी की बूंद का महत्व उन लोगों से पूछना ज़रा, जिन्हें पानी पीने के लिए भी संघर्ष करना पानी की बूंद का महत्व उन लोगों से पूछना ज़रा, जिन्हें पानी पीने के लिए भी सं...
बड़ौदा में जगह-जगह मगर निकल आए तो लोगों को बहुत डराया। बड़ौदा में जगह-जगह मगर निकल आए तो लोगों को बहुत डराया।
विज्ञान के चमत्कार से भले ही .. भौतिक सुविधाओं का अम्बार जुटा रहा है ! विज्ञान के चमत्कार से भले ही .. भौतिक सुविधाओं का अम्बार जुटा रहा है !
वह पास पहुंच कर भी कहीं भटकता दूर था ऐसी क्या बात थी जो वह हमीं से छुपाता था वह पास पहुंच कर भी कहीं भटकता दूर था ऐसी क्या बात थी जो वह हमीं से छुपाता था
तुम्हारी पुण्यतिथि पर, नैन ये छलक रहे, तुम्हारी वाणी के स्वर, गूंजते दूर तलक रहे। तुम्हारी पुण्यतिथि पर, नैन ये छलक रहे, तुम्हारी वाणी के स्वर, गूंजते दूर तलक ...
शब्द को सिला शब्द से पंक्तियाँ लिखी पृष्ठ पर शब्द को सिला शब्द से पंक्तियाँ लिखी पृष्ठ पर
छोड़ मायके की गलियां एक दिन ससुराल में आए थे हम, छोड़ मायके की गलियां एक दिन ससुराल में आए थे हम,
कहने को अब सभ्य समाज है कुछ बदला क्या विशेष नहीं केवल तरीके बदले। कहने को अब सभ्य समाज है कुछ बदला क्या विशेष नहीं केवल तरीके बदले।
अपनी ज्वाला की रोशनी से , जीवन जगमग करती खूब। अपनी ज्वाला की रोशनी से , जीवन जगमग करती खूब।