Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Mahesh Kumar

Tragedy Action Crime

4.5  

Mahesh Kumar

Tragedy Action Crime

गीत: दौर-ए-मुश्किल

गीत: दौर-ए-मुश्किल

1 min
739


बिता हुआ दौर-ए-जहांन

कब लौट के आता हैं

व्यर्थ पथिक आशा लिए

आँसू बहता है।


जो शेष है

वही रेस है,

तू समेट ले

जो अवशेष हैं।

कल तो न्या 

सूरज निकलेगा,

बस आज में 

ही द्वेष है


मूर्ख बन जन की नजर में

क्यों खुद को जलता हैं?

व्यर्थ पथिक आशा लिए

आँसू बहता है।


की असली 

गुनाह यूँ हैं,

जो है तो

जुदा क्यूँ हैं?

कंधा मेरे 

सहारे का,

मजधार 

हिला क्यों है?


कहते थे अपने सारे

साथ चलेंगे मिलके प्यारे

लालच के घाव में घुलके

मिट गए बन अंधियारे।


हाल बूरा देख वो जुगनू

पंख छुपाता हैं।

व्यर्थ पथिक आशा लिए

आँसू बहता हैं।


बता कब लौट के आता है ?

भला कब लौट के आता है।


देख रही है सांझी नजर जो

थक के कही सो जायेंगी।

मग़र जो देखा आज कमाल

तो सदियों तक दोहरायेंगी।


तेरा कदम, कदम से आगे

तुझसे चलके जायेगा

वरना मांझी, बीच भवँर में

घिरके ही गिर जायेगा


जो ठान ले तो जान ले

अश्वन रूप फौलादी है

ये रंग जरा पहचान ले

ले रंग जरा पहचान ले।


अच्छि-भली काया को 

काहें रोगी बनाता है

व्यर्थ पथिक आशा लिए

आँसू बहता है।


बिता हुआ दौर-ए-जहांन

कब लौट के आता है।

बता कब लौट के आता है ?

भला कब लौट के आता हैं।


Rate this content
Log in