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Sulagna Subhadarsini

Romance

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Sulagna Subhadarsini

Romance

एक अनकही सी दास्तां

एक अनकही सी दास्तां

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सुबह की किरणें जब

पत्तों को छूती हैं,

ये ओस की बूंदें भी

कुछ कुछ तुम-से‌ लगते हैं।

न जाने उन आंखों ने

क्या जादू चलाया है,

नींद खुलती कहां है मेरी‌ सवेरे आजकल ?

रात भर जागना जो पड़ता है !

जब कभी धीमी हवा

मुझे छू कर बहती है,

तब पता नहीं क्यों

मेरे दिल में कहीं बेचैनी सी होती है।

तुम्हारे तस्वीर के सामने बैठूं तो

मानो लम्हा कहीं थम जाता है,

तारे गिनने की मेरी हसरत‌ कहां ?

मेरा तो दिन ही नहीं ढलता है।

कभी बरस पड़ती हूं बेपनाह

तो कभी खिलखिला कर मुस्कराती हूं,

अकसर एक मासूम सा ख्वाब लिए

तनहाई से बातें करती हूं।

लगता है जैसे तुम्हारे बिना

अधूरी है मेरी‌ जिंदगी सारी,

तरसती है मेरी‌ आंखें

बस एक नज़र को‌ तुम्हारी।

मुझे पता है कि मेरे होने से

तुम वाकिफ़ नहीं हो,

तुम्हें क्या ? तुम तो कल की तरह

आज भी बेखबर हो।

कभी मन्नतों में, तो कभी

इबादतों में तुम्हें मांगा है,

तुम ख़ुदा तो नहीं हो, पर मैंने

तुमसे ही तुमको चाहा है।

दिल से दिल के मिलने को

भला कौन‌ रोक पाया‌ है ?

पर जनाब, यहां तो एक बंजर जमीन को

बहते पानी से इश्क हो गया है।

कहते हैं किसी चीज़ को शिद्दत से चाहो

तो पूरी कायनात तुम्हें उस से मिलाने की कोशिश करती है,

पर मुझे तुम्हें पाने के लिए,

पूरी कायनात से बगावत क्यों करनी पड़ती है ?

आंखें मेरी हर जगह बस

तुम्हें ही ढूंढती रहती है,

और तुम न मिलने पर

अपने आप ही नम हो जाती है।

मुझे यह तो पता नहीं

कि तुम कहां मिलोगे,

पर मुझे यकीन है

कि तुम जरूर आओगे।

शाम और सवेरे तुम्हारे

सपनों में खोई रहती हूं,

तुमसे एक मुलाकात के लिए

सब कुछ कुर्बान कर सकती हूं ।

तुमसे मोहब्बत करने में जो सुकून है

वह कहीं और तो नहीं,

तुम से मिलने वाली हर दर्द मरहम है

मुझे कोई गिला तो नहीं !

दिल में कई अरमान, मन में कई

ख्वाहिश लिए जागी हूं,

शायद किसी ‘शायद’ पर‌ तुम मिल जाओ

यह आस लगाए बैठी हूं।

भरोसा है मुझे मेरे प्यार पर

किसी और का होगा, यह तो मुमकिन नहीं,

मैं तुम्हें चांद कह दूं पर लोग रात भर तुम्हें देखें

यह हमें मंजूर नहीं।

जिक्र है कि एक तरफा ‌उम्मीदें

अकसर तबाह‌ कर जाते हैं,

पर हम क्या करें ? हम इन्हीं उम्मीदों

पर ही तो जिंदा रहते हैं !

मेरी‌ खुशियां तुम्हें मिले

आबाद रहो तुम,

उम्र लग जाए मेरी तुम्हें

महफूज रहो तुम।

चैन मेरा, नींद मेरी

कहीं तो खोई हुई है,

जिंदगी से कुछ न मांगा

बस एक तुम्हारी कमी रह गई है।

तुम जुनून हो

बंदगी हो मेरी,

थाम लो यह हाथ मेरा

इतनी-सी तो गुज़ारिश है मेरी‌ !

तुम्हारे एक हँसीं को

अपना वजूद मानती आ रही हूं,

तुम्हें एक एहसास‌

एक नग़मा मानती आ रही हूं।

लोग कहते हैं कि तुमसे मिलना

इतना आसान नहीं,

मगर क्या करूं ? कमबख्त दिल है

के‌ मानता नहीं।

तुमसे बस एक बार मिलें

यह कोशिश है हमारी,

तुम्हारी जिंदगी से कुछ पल मांगे है मैंने

क्या इजाजत है तुम्हारी ?

इंसान की हर तमन्ना पूरी हो

यह तो जरूरी नहीं,

कहीं कोई तो राह‌ होगा तुम तक, दुनिया में कोई चीज

नामुमकिन तो नहीं ।

इस जनम का तो पता नहीं

लेकिन अगले जनम,

तुम मेरे हो जाना

और मैं सिर्फ तुम्हारी ।।


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