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Supreet Verma

Romance

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Supreet Verma

Romance

"अनोखी चाहत "

"अनोखी चाहत "

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एहसासों में है जो प्यार वही सही मायने में प्यार है,

जिसे पा लेने की चाहत नही, बस इश्क है बेपनाह,

जिसे खो देने का गम तो है पर लेंगे खुद को समझा।।


चाहत है बस देख लें एक नजर.. मिले तो दिन भर,

कर लें बेवजह इंतजार.... नही वो मेरा पर,

ये जानकर दिल धड़क उड़ता है ये सुनकर

क्यूं होकर भी तुम नही, सोंचते हैं यही दिनभर ।।


खो जाऊं उन आंखों में जिनमें मोहब्बत है बेशुमार ,

जितना मैं करूं करते हो वो भी मुझसे प्यार,

ज़िद नहीं, ना कोई हों शिकवे गिले ,

ऐसे जिंदगी जिए रोज, जैसे पहली बार थे मिले।।


दायरे भूल जाऊ ऐसी हालत न हो ,

रह न पाए बिन उनके ऐसी आदत न हो,

एहसास ये हकीकत में बदले बस ऐसी ख्वाहिश हो,

जितनी मुझे है, उतनी उनको भी मुझसे चाहत हो ।।


कभी लगता है, कुछ है नही ऐसा, कभी भरपूर होते हो

कभी रो उठता है, तुम बिन दिल मेरा, पुछू क्यूं रोते हो

जनता है ये सबकुछ फिर भी अनजान बनता है

मोहब्बत है नही तेरी, मोहब्बत है ये कहता है 

चलो अब कह भी दो क्या सोचते हो हालेदिल 

सुकून बनोगे या खुद ही समझ ले दिल ,कि तुम

ख्वाहिश हो, ख्वाबों में रहोगे बनकर एहसास मेरा

लो मान लिया हमने कि तुम बिन भी, तुम संग है मेरा जहां।।।



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