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Supreet Verma

Action Inspirational

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Supreet Verma

Action Inspirational

"प्रहार"

"प्रहार"

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बंद आँखों ने जब आँखें खोली

छू के मिट्टी को माथे लगाया

देख झण्डे को लहराते हुए माँ

मेरा दिल खुशी से भर आया।।


तेरा कहना माँ जा सर उठा के

आना उनको तू वही दफना के

ये धरती आँचल है मेरा

ये अंबर छाया है तेरा

दहाडे़ तू तो उनकी रुहे काँप जाये

इतना फौलादी बेटा है मेरा।।


कैसे बताऊं माँ तू ताकत है मेरी

सांसों में घुली हिफाज़त है मेरी

तेरे लिए तो हम अपनी जान है लुटाते

तुझे कोई छू ले ये हम सह नही पाते

चारों दिशाओं में रखते नजर 

ऐसे कायर नही जो हम रुक जाते।।


चलती तेरे लिए ये सांसे मेरी

तू चाहत मेरी तू ताकत मेरी

जूनून है सर पे सवार माँ

तिरंगे पे डाले कोई तिरछी तो

पैना है मेरा प्रहार माँ।।



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