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Vimla Jain

Action Inspirational

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Vimla Jain

Action Inspirational

साथ में परेड करने मंजर की याद

साथ में परेड करने मंजर की याद

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आज देख अमृत महोत्सव की परेड।

कतार बद्ध बच्चों को देख हमको भी अपना बचपन याद आ गया।

 क्या समय था वह जाते थे दोनों भाई बहन स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस की परेड में।

 अपने-अपने स्कूलों से सेक्रेटेरिएट जयपुर में।

 बनने परेड का हिस्सा।


 क्या समय था वह

 मैं सुनाऊं आपको वह किस्सा।

वह से नवमी कक्षा में और मेथी छटी कक्षा में ।

दोनों का चयन परेड ग्राउंड की पर परेड का का हिस्सा बनने हो गया।

दोनों ही हवा में उड़ने लगे। ऐसा लगा जैसे हमारे पर लग गए।

 मातृभूमि की रक्षा में शायद हमने भी कुछ योगदान दिया हो।

 लेजियम, डंबल, मुद्गल, तिरंगे रुमाल, रंग बिरंगे तिरंगे बलून

जब हम परेड करते और हवा में उड़ाते, इतने खुश हो जाते।

 ऐसा लगता हम खुद हवा में विचरण कर रहे हैं, मातृभूमि की रक्षा के लिए कुछ काम कर रहे हैं।

परेड खत्म करने के बाद जो एक-एक पैकेट नाश्ते का मिलता।

 हम दोनों भाई बहन एक दूसरे को बुलाकर साथ बैठकर पूरे टूट पड़ते थे उस पर,

 बहुत मजे मनाते थे।

आज लड्डू कचोरी का वापस स्वाद आ गया।

तीन-चार साल हमने परेड में जो मौज मनाई ।

वह सारा मंजर याद आ गया 

क्या मस्त नजारा होता था।

 क्या वंदे मातरम का गाना होता था।

आज परेड का पूरा नजारा याद आ गया।

बच्चों की जगह खुद को या रखकर हम देख रहे हैं।

पुरानी यादों के अंदर हम झूल रहे हैं।

 सब आंखों के सामने आ गया।


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