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Suraj Sharma

Abstract Action Classics

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Suraj Sharma

Abstract Action Classics

नारी

नारी

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कल तक किसी आँगन में चहकने वाली चिड़िया,

वह नाजों में पली गुड़िया; 

जब दुल्हन बन कर किसी पराये घर में जाती है

तो वही बिटिया नारी बन जाती है।

विज्ञान भी हैरान है वह यह सब कैसे कर पाती है ? 


छोड़कर कर दहलीज बाबुल की,

चौखट पिया के घर की अपनाती है।

जी हाँ, कल तक अपनी मर्जी पर चलने वाली

अब औरों की मर्जी पर चलती है।

दमन कर अपनी इच्छाओं का

फिर वह उस घर की रीत निभाती है।

विज्ञान भी हैरान है.................. 


सात फेरे लिए जिसके संग,

अपनी पहचान मिटाकर 

उसी के नाम से जानी जाती है;

जी हाँ, अब वह उसकी बीबी,

पत्नी, भार्या कहलाती है

खंजर करे जो वह तन-मन उसका,

तो भी आंचल से घाव छिपा लेती है।

विज्ञान भी हैरान है................. 


अपनी जिद मनवाने वाली 

अब तुरंत गलती अपनी

मानकर तालमेल बिठा लेती है।

छोड़कर घरौदा अपने बाबुल का

जब पिया घर आ जाती है, 

तब मंदिर वह उस घर को बनाती है।

विज्ञान भी हैरान है................ 


जी हाँ,पति को परमेश्वर मान 

वह सर्वस्व लुटाती है।

भूलकर अपने रिश्ते-नाते

नये रिश्तों को अपनाती है,

नये घर में आकर एक नयी दुनिया बसाती है।

जी हाँ, अब वही नारी अब माँ बन जाती है।

विज्ञान भी हैरान है........................ 


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