हमारा अभिमान है हिन्दी
हमारा अभिमान है हिन्दी
हमारा अभिमान है हिन्दी ।
देश का सम्मान है हिन्दी ।।
ज्ञान की बहती गंगा है हिन्दी।
सहायक हैं इसकी पंजाबी, सिंधी।।
राष्ट्र-एकता का प्रतीक हिन्दी,
हिन्दुस्तान की पहचान हिन्दी ।
हर तुतलाते बालक की बोली है हिन्दी,
हिन्दी है हर हिन्दुस्तानी के माथे की बिंदी।।
राष्ट्र भक्ति का भाव जगाकर ,
गुलामी की बेडियाँ तोड़ने वाली है हिन्दी ।
मुर्दों में नई जान फूंककर,
देशभक्तों की कड़ी से कड़ी जोड़ने वाली है हिन्दी ।।
तुलसीदास हों चाहे वेदव्यास,
सबकी चहेती रही है हिन्दी।
कबीर हों या रैदास,
सबको भाती रही है हिन्दी ।।
भारत के जनमानस में बसी है,
व्रत-उपवास, कथा साहित्य में रमी है हिन्दी।
लोककथा, गीत, कहावत, मुहावरे में छिपी है,
वेद-पुराण-उपनिषद में व्यापी है हिन्दी।।
आओ अब सब मिलकर एक प्रण करें,
हमारे मिलने-भेंटने-वार्ता में होगी हिन्दी।
हो जायें आधुनिक चाहे कितने भी,
हमारी हर पीढ़ी को पढ़ायेंगे-सिखायेंगे हिन्दी।।
क्यों ना सब मिलकर एक अभियान चलायें,
दर्जा दिलवाकर राष्ट्र-भाषा बनवायें हिन्दी।
यह संदेश जन-जन तक पहुँचायें,
राजभाषा-राष्ट्रभाषा का सम्मान पाये हिन्दी।।