Suraj Sharma

Abstract Inspirational

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Suraj Sharma

Abstract Inspirational

मेरी माँ ; मेरा भगवान

मेरी माँ ; मेरा भगवान

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हाँ मैंने देखा है भगवान को,

मैं रहा हूँ कई साल उसके करीब।

यों तो मिलता है यह भगवान सबको;

जीवन में अवश्य एकबार। 

मगर पहचानते हैं इसे वो ही;

जिनके अच्छे होते हैं नसीब।। 


मैं उस भगवान की गोद में खेला हूँ,

और पाया है उसका असीम प्यार। 

खेलता था मैं उस भगवान के साथ, 

खाता था खाना भी उसी के साथ ;

कई वर्षों तक रहे हम साथ-साथ।


अगर मैं उसे सताता तो भी, 

वह भगवान लुटाता था मुझ पर प्यार।

अब भी कष्ट में सबसे पहले उसे ही याद करता हूँ, 

और पाता हूँ उसे मेरे करीब ।। 


वो भगवान मुझे नहलाता था, 

चोट लगने पर सहलाता था;

खूब पाया मैंने उसका लाड-दुलार। 

भूल और गलतियां वह सब माफ कर देता था, 

चाहे वो थी कितनी भी बड़ी और अजीब।।


जानते हो वह भगवान मेरी 'माँ' ही थी, 

मेरी कुशलता ही उसकी सबसे बड़ी चाह थी। 

मगर हाय मेरा वह भगवान, 

अब जा चुका है छोड़कर यह संसार। 

मित्रों तुम भी कद्र करो इस भगवान की, 

जो तोहफे में सबको मिला है चाहे अमीर हो या गरीब।। 


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