मजदूर हैं हम, मजदूरी दो
मजदूर हैं हम, मजदूरी दो
मजदूर हैं, मजदूरी देना,
बहुत दुख दर्द सहते हैं,
दिन रात काम ही काम,
मजदूर लोग यूं कहते हैं।
तन पर कपड़े फटे हुए,
खाने को नहीं दो रोटी,
हाय गरीबी मजदूर की,
कैसी किस्मत है खोटी।
कई दिन भूखे प्यासे रहे,
फिर नहीं मिलता काम,
भूख प्यास मिटा लेते हैं,
बस लेकर प्रभु का नाम।
मजदूर की मजदूरी देख,
आंखें भी हो जाएंगी नम,
प्रभु की माया निराली है,
कितना दिया उनको गम।
धनवान के घरों में सदा,
मजदूर करते हैं मजदूरी,
अपने सगे संबंधियों से,
बनाए रखते सदा ही दूरी।
भूखे प्यासे उनके बच्चे,
हाथ पसारने से डरते हैं,
दवा अभाव में कभी तो,
सड़कों किनारे मरते हैं।
कोई ना सुने मजदूर की ,
गरीब बेचारे ये सारे है,
प्रभु की नजरों में तो ये,
आंखों के कहाते तारे हैं।
कभी ना बनाना मजदूर ,
तरस खा कुछ भगवान,
इनका घर धन से भरो,
जीने की बढ़ जाए शान।
फटे हाल रहते मजदूर,
कोई तरस नहीं खाता है ,
इनकी माली हालत देख,
धनी घर में छुप जाता है।
शत शत नमन करते हम,
रखवाले देश के कहलाते,
मजदूरी मिलती जब इन्हें,
रोटी कपड़े खरीद के लाते।
इनके बच्चे मासूम कितने,
मिलते हैं नन्हे भोले-भाले,
तरस खा लेना ओ भगवान,
कहलाते तुम जग रखवाले।
फौलाद से लिए दो हाथ,
प्रभु का मिलता है साथ,
कठिन काम करें पल में,
मजदूर जन की क्या बात।
बड़े बड़े उद्योग पुकार रहे,
ऊंची ऊंची पुकारती मिल,
मजदूर कौम रहे जिंदाबाद,
पल पल रहकर आते याद।
सबसे ज्यादा मेहनत करते ,
कठिन परिश्रम से ना डरते,
खून पसीना करते हैं एक,
दिल से बड़े है मजदूर नेक।
इतिहास बदल के रख देंगे,
ये ऐसे मनमस्त तराने होते,
दिन भर कड़ी मेहनत करके,
रात्रि को नींद चैन की सोते।
नमन करो पावन माटी को,
जिस पर मजदूर भाई होता,
अगर मजदूर नहीं होता तो,
अमीर आंसू बहाकर रोता।
नमन आज उन मजदूरों को,
जिनके बल पर देश महान,
इस माटी में पैदा होते सदा,
मजदूरों को सहस्त्र सलाम।
भगवान इंसान को दे जन्म,
पर कभी ना बनाना मजदूर,
अपने परिजनों का पेट भरे,
रहते हर दम अपनों से दूर।
मजदूर हैं हम, मजदूरी दो,
हाथ हमारे हैं तुम जैसे दो,
चाहे मिले हमें सूखी रोटी,
मंजूर है आज, हमको वो।।