जीवन की नदी
जीवन की नदी
जी हां जीवन एक नदी के समान ही है।
जिसको तैरकर सारे तूफानों से
लड़कर पार उतरना होता है।
जो इस में तैर कर अच्छी तरह से
बाहर निकल जाता है।
वह अपनी जिंदगी में सफल हो जाता है।
और हर जीवन की नदी को
आखिर में सागर में मिलना ही होता है।
और उसका अंत हो जाता है और
वह सागर में अनंत में विलीन हो जाता है।
इस जीवन रूपी नदी में कितने थपेड़े
उसने सहन करें होते हैं,
उसका कोई हिसाब नहीं होता।
बस एक लाइन में इसने
जिंदगी बहुत अच्छी तरह जी।
बहुत अच्छी नारी थी ।
बहुत अच्छा इंसान था
और बस हो गया जिंदगी का मूल्यांकन
यह है नारी, पुरुष के जीवन की नदी।