अनजानी जगह
अनजानी जगह
आज हमको यह जगह जान से भी प्यारी है।
एक दिन वह था जब हम झोली डंडे उठाए।
सरकार के बुलावे पर आ पहुंचे इस अनजान जगह पर ।
समय बीतता गया पहचान बनती गई। प्रसिद्धि मिलती गई।
यह अनजान जगह अपनी बनती गई।
आज हाल यह है यह अनजान जगह
हमको जान से भी प्यारी हो गई।
हम राजस्थान से बड़ौदा वासी हो गए।
संस्कार नगरी वडोदरा है ज्ञान का समुंदर,
इसमें कोई डूबकी लगाने वाला चाहिए।
इस ज्ञान के सागर में जो डुबकी लगाकर निकल जाए
उस वह भवसागर में तर जाए
आज यह नगरी बहुत अपनी सी लगती है।
अब तो जिंदगी यहीं बसर करनी है।
हमने अपनाया इस संस्कार नगरी को तो
इस संस्कार नगरी ने हमको बहुत दिया।
ना अनजान हमको रहने दिया।
सुख शांति समृद्धि सब कुछ तो दिया।
प्यारी सी सुंदर से सुंदर सी स्मृतियों से
भरे इस जीवन को सफल बनाया।
है हमको बहुत प्यारी यह संस्कार नगरी।