विरह (सायली छंद)
विरह (सायली छंद)
प्रियतम
मनुआ मेरा
तड़फे तुम बिन
कब आओगे
विरहाग्नि।
नयना
नींद नहीं
जागी सारी रतियाँ
बाट जोहती
इंतजार।
भौर
हो गई
अब तो आओ
प्रियतम प्यारे
दर्शनाभिलाषी।
अँसुवन
सूख गए
तुम न आए
करूँ आस
बेदर्दी।
प्रियतम
मनुआ मेरा
तड़फे तुम बिन
कब आओगे
विरहाग्नि।
नयना
नींद नहीं
जागी सारी रतियाँ
बाट जोहती
इंतजार।
भौर
हो गई
अब तो आओ
प्रियतम प्यारे
दर्शनाभिलाषी।
अँसुवन
सूख गए
तुम न आए
करूँ आस
बेदर्दी।