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Manisha Maru

Action Classics Inspirational

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Manisha Maru

Action Classics Inspirational

कविता की मौत

कविता की मौत

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मैंने कविता को अपनी

दुल्हन की तरह था श्रृंगार किया।

लेकिन सेज में जाते ही उसका

गला दबोचा गया।


आत्मा घायल हो तड़प उठी

लेकिन किसी को ना भनक लगी।

रोई तड़पी, चीखी,चिलाई,

किसी ने ना गले लगाया

बिखरे हालातों पे

फिर खुद को ही धीरज बंधाया।


हर हाल में वापस तुझको जीना हे,

ना अस्थियां बहूंगी तेरी,

ना मृत घोषित करूगी तुझको,

जीवन प्राण शब्दो के फूंक के तुझमें,

तेरी कहानी का परचम.....

हर गांव गली और शहर में लहराऊंगी।

मैं तुझ को फिर से दुल्हन सी सजाऊंगी।


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