बापू की अहिंसा
बापू की अहिंसा
क्या होती है अहिंसा ?
क्या होता है अहिंसक विचार ?
कुछ लोगों की राय में अहिंसा का मतलब
यह होता है कि सामने वाला हम पर जुल्म ढाए
और हम सब वह सहते जाएं यह होती है अहिंसा !
मगर बापू कहते हैं ये तो अहिंसा हो ही नहीं सकती !
ये तो कायरतापूर्ण व्यवहार है ।
अहिंसा तो यह है कि मुझमे हिंसा करने की शक्ति
अर्थात बलपूर्वक कार्य करने की शक्ति
और सामर्थ्य होते हुए भी मैं हिंसा को
अंतिम अस्त्र के रूप में भी न अपनाऊँ
वह होती है अहिंसा।
मगर फिर बापू कहते हैं
यदि मुझे 'हिंसा' और 'कायरता ' के दो विकल्प में से
किसी विकट परिस्थिति में एक को चुनना हो तो
मैं 'हिंसा ' को ही चुनूंगा ।
इसपर उनका विचार है कि यदि किसी स्त्री के इज्जत के
अस्तित्तव या उसके गरिमा पे आँच आये तो
मैं तलवार उठाने में भी हिचक नहीं करूँगा ।
क्योंकि यहाँ कायरता की जगह हिंसा ही सर्वश्रेष्ठ है।
यही तो है बापू की अहिंसा का मूलभाव।
