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Brijlala Rohanअन्वेषी

Action Inspirational

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Brijlala Rohanअन्वेषी

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भारतीय संविधान : एक जीवंत दस्तावेज़

भारतीय संविधान : एक जीवंत दस्तावेज़

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भारतीय संविधान है एक सजीव, सवाक् जीवंत दस्तावेज़ ।

इसमें उल्लिखित है मौलिक अधिकारों के साथ- साथ मौलिक कर्तव्यों का भी समावेश। 

अंशत: यह कठोर है ,अंशत: है यह लचीला ।

कोई ऐसा तबका नहीं जिसे इसे सम्मानपूर्वक मानने का एक आधार भी न हो मिला !

समय के अनुरूप खुद को समाज के ढाँचे में ढलने वाला है, हमारा संविधान। 

यही इसकी अहम खासियत है जो इसे बनाता है सबसे महान ।

इसके सामने नीरस और फीका दिखता कथित विधि का भी विधान !

हमारा संविधान सिर्फ नियम- कानूनों का पिटारा नहीं !

यह बेआवाज़ों की आवाज़ ,बेसहारों का सहारा

और बेकसूरों का रखवाला है ।

यह शासन कैसा हो ? के साथ - साथ कैसे चले?

इसका भी करता है हर संभव बखान ।

आत्मसात करें हम इसमें वर्णित प्रावधान, 

आओ निष्ठापूर्वक नमन करें इस पवित्र- पावन ग्रंथ को ।

प्रकट करें हम इसके प्रति श्रद्धा- भाव , 

अपने जीवन में अपनाकर इसे ;यही होगा इसके प्रति हमारा सच्चा सम्मान। 

यह संवैधानिक उपचारों का बोध कराता ,

जिसके सहारे अपने मौलिक अधिकार के हनन होने पर

कोई भी खटखटा सकता है सीधे सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय का दरवाजा ।

अपने हित में हक हासिल करने के साथ - साथ

यह हमारी राष्ट्र के प्रति अपनी कर्तव्य भी है बताता ।

सच में है यह विधि के विधान से भी सर्वश्रेष्ठ। 

हमारा संविधान है सचमुच जीवंत दस्तावेज़।।


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