एक लम्हा नौ महीने बड़ा
एक लम्हा नौ महीने बड़ा
अनदेखा,
अनजाना सा प्यार।
बिन शर्तो पर,
पलता जो खुमार।
कलेजे की,
कौर ऐसी बनती।
नैना चाहते,
करना हरपल दीदार।
बुरी नज़रों से,
बचाकर मैं दूर रखूं ।
हर लम्हा आता,
बस यहीं ख्याल।
वो रेशमी,
वो कोमल सा एहसास।
हर रिश्तों में
"नौ महीने "
सबसे ज्यादा होता,
जिस रिश्तें का दुलार
वो तो सिर्फ और सिर्फ होता
"एक मां "का ही समर्पण वाला प्यार।
