तीन यार
तीन यार
बरसो बाद मिले थे ..तीन यार,
याद कर रहे थे,
उन गुजारे लम्हों को आंखो में,
भर के मस्तियों की बहार।
हो गया था एक ही लड़की से जब सबको प्यार।
लेकिन इस बात से तीनों ही थे अंजान,
एक ही लड़की बन बैठी थी तीनों दोस्तो की जान।
मालूम हुआ जब एक दूजे को सबके दिल का हाल
बदलने लगी धीरे..धीरे
अब दोस्तों की आपस में हर चाल।
छुपाने लगे थे अपने सारे राज,
जो कभी हुआ करते थे एक दूजें के हमराज।
खोया रहता था हर एक दोस्त
कैसे करे किसका पत्ता साफ।
लेकिन अचानक
तीनों के जीवन में उठा तूफानी सैलाब।
जब देखा वह लड़की बन गई है
किसी और के गले का हार।
अब तो बस.... सपनों में ही
बाकी रह गया करना तीनों को इकरार।
यह देख हंस पड़े आपस में तीनों यार।
यार एक लड़की के चक्कर में,
इतनी बड़ी भूल हुई हमसे
की भूल गए अपना जिगरी दोस्ताना और प्यार।