अभिमान
अभिमान
किस बात का है आपको अभिमान
आपसे बढ़कर बहुत हैं,
बहुत हो चुके हैं,बहुत होंगें।
सदा रखिए आप इसका ध्यान,
सदैव रखिए इसका भान !
तो फिर भी ये दंभी अभिमान ?
कितना झूठा है यह अभिमान !
अभिमान मनुष्य की प्रगति, विकास,
सफलता के मार्ग को अवरूद्ध करता है।
अभिमान आपकी विवेकशीलता,विचार,
बुद्धि, दूरदर्शिता को हर लेता है।
सच में अभिमान बड़ा ही घातक हथियार है !
इससे तुम कभी मत खेलो।
अभिमान प्रगति में बाधक है।
जो इससे अछूता वही सच्चा साधक है।
