लौह स्तंभ सा समाज बने, जिसे कोई न सकता तोड़। लौह स्तंभ सा समाज बने, जिसे कोई न सकता तोड़।
लो समेट सब को बाहों में समय गति करलो तुम वंश में पहचानो जीवन-मूल्यों को लो समेट सब को बाहों में समय गति करलो तुम वंश में पहचानो जीवन-मूल्यों क...
क्यों कहें निज हस्त खुद को, मौत मुंह में टाँगते हैं ? क्यों कहें निज हस्त खुद को, मौत मुंह में टाँगते हैं ?
नौजवानों इस वतन का कल है हाथों में तुम्हारे। नौजवानों इस वतन का कल है हाथों में तुम्हारे।
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क्योंकि उसको ही रखनी पड़ेगी नींव इक नए भारत के निर्माण की क्योंकि उसको ही रखनी पड़ेगी नींव इक नए भारत के निर्माण की