धूल चटायेंगे
धूल चटायेंगे
एक एक मिल करके हम,
ग्यारह बन जाएंगे।
कैसा भी बड़ा शूरमा हो,
उसको भी धूल चटाएंगे।
एक एक मिल करके ही,
बढ़ जाती हमारी ताकत।
अकेले से होती है मुश्किल,
ग्यारह से बने बड़ी इमारत।
एकता में हो असीमित बल,
पूर्वजों ने हमें बताया है।
कितना बड़ा संकट भी हो,
मिलने से हल हो पाया है।
तानाशाही के विरुद्ध क्रांतियां,
एकजुटता से हुई कामयाब।
हाथ से हाथ मिल जाने से,
पूरे हो सकते हमारे ख़्वाब।
टुकड़े टुकड़े हम हो बिखरे,
मूल्य हमारा न होगा।
मिल कर यदि शक्ति प्रदर्शन,
पर्वत को भी झुकना होगा।
एक एक हम ग्यारह होकर,
विशाल शक्ति बन जाएंगे।
नई दिशा से नव निर्माण,
जीवन में ख़ुशियाँ पाएंगे।
जब होते हम अलग थलग,
कमजोर ही आंके जाते हैं।
असफलता की नींव पड़े,
कामयाब नहीं हो पाते हैं।
एक और एक हो ग्यारह हो,
सत्पथ पर हम सद्कर्म करें।
हमें मिले नित नई बुलंदी,
जो जीवन में विश्वास भरे।
एक एक कर बने एकता
हम नई रीति बनाएंगे।
सफ़लता होगी मुट्ठी में,
प्रगति जीवन में लाएंगे।
एक एक मिल ग्यारह होते,
हो जाएंगे हम एक करोड़।
लौह स्तंभ सा समाज बने,
जिसे कोई न सकता तोड़।