मानवता में छेद जात पात का भेद
मानवता में छेद जात पात का भेद
मानवता में छेद जात पात का भेद।
जात पात के कारण बढ़ते बहुत कलेश।
जब पड़ता है वक्त तो अच्छे-अच्छे जातिवादी भी भूल जाते हैं जाति पाति का भेद।
कोरोना काल में देखा है हम सब ने
जाने किसने किसको खून दिया और किसने किसको अंग।
अच्छे-अच्छे जाति वादों का हुआ था मोहभंग।
मानवता ही जीती थी तब
मानव ही चहुं और थे घूम रहे।
प्राणी मात्र की सेवा का लक्ष्य लेकर
तन मन धन की सुध बुध भी भूल रहे।
कुछ दानव ऐसे भी थे जो बढ़ाकर मूल्य हर चीज को थे बेच रहे।
मानव और दानव बस यही दो जाति रहती है आदि से अंत तक।
जीवन पर्यंत मानव की विकास यात्रा का यूं ही चलता रहता है क्रम।
मैं अमुक जाति का हूं उलझा रहता है मानव इसमें ही,
उसे होता रहता है यही भ्रम।
बस इसी भ्रम के कारण ही होता मानवता में छेद।
मोह ग्रस्त है हर वह प्राणी
जो करता मानव मानव में भेद।
