रिश्ते
रिश्ते
रिश्ते तो अनमोल रत्न,
कैसे इन्हें बिखरने दूं।
भटके कितने अंधियारे में,
क्यो न बन प्रकाश,निखरने दूं।
एक कदम वो जो गए दूर,
चार कदम मैं उनकी ओर बढ़ू।
जो न लिख पाए वो कहानी,
क्यो न वह कहानी,मैं लिखू।।
लाख आये कष्ट भी संग,
कंटको में मुस्कुरा लेंगे।
जब न मिले पुष्प तो क्या,
शूलों में मुस्कान सजा लेंगे।।
वो भूले थे प्रेम तो क्या,
हम दिलो में प्रेम उपजा लेंगे।
रिश्तों के पुनर्जीवन को,
हम चंद दर्द भुला देंगे।।