शहादत वाली राखी
शहादत वाली राखी
आज हर घर में हर्ष उल्लास सुनाई है
लगता आज रक्षाबंधन त्यौहार की घड़ी आई है
आज एक भाई के शहिद होने की सरहद से खबर अभी आई है।
आज बहन की उम्मीद टूट सी गई
लगता जैसे उसकी रखी रूठ सी गई
आज भाई के ना होने का एहसास मुझे भी हो पाया है
वो प्यारा लाडला भैया का शव आज मेरे आंखों के सामने मैंने जमीन पे पाया है
आज मैंने रोते हुए फिर अपने भैया के कलाई पे रेशम का राखी बांधा है
आज मेरी सजी हुई आरती थाली जैसे कांप रही
तिरंगे से लिपटे भैया को बड़ी हिम्मत करके मैं ताक रही
हे ईश्वर यह कैसी विडंबना है
शुभ दिन घटी यह कैसी घटना है
रक्षाबंधन त्यौहार के दिन आज
अपने भाई के शव के पास कैसे
सिसक रही उसकी छोटी सी बहना है
यह कैसी विचित्र घड़ी आई है
यह काल के भी काल की घड़ी आई है
रक्षाबंधन त्यौहार के दिन एक बहन
ने आज अपने भैया की अर्थी सजाई है
तू बहुत टूटा सा है तू बहुत झूठा सा है।
तू मुझे तड़पाता है तू मुझे बहुत रुलाता है
सदैव रक्षा की बात कह कर
सदैव चॉकलेट का उपहार भेंट कर
सरहद की रक्षा हेतु चला जाता था
क्यूं अपनी बहना को यूं छोड़ गया
क्यूं अपनी गुड़िया को रोता छोड़ गया
मेरे भाई तू एक बार आंखें खोल तो दें
मेरे भाई तू एक बार तो बहना बोल तो दें
तेरी बहना भूखी प्यासी बैठी है
तेरी गुड़िया तुझसे रूठी बैठी है
आज कैसी सौगात तू दे गया
अपनी प्यारी मुन्नी को तू आज कैसे अकेला छोड़ गया
रक्षाबंधन वाले दिन अपने भईया के तस्वीर पे मैंने माला चढ़ाई है।
जो कभी सपने में ना सोचा आज वो अशुभ घड़ी सामने आई है।
भाई तेरे बिना ये घर सुना सुना लगता है
तेरे बिना जैसे ये घर जाने क्यूं अधूरा लगता है
भाई तू क्यूं नहीं बोल रहा अपनी बहना से क्यूं नहीं बोल रहा
आज यह कैसी बेला आई है
जैसे अभी जय हिंद की ध्वनि सुनाई है
लगता मेरे भैया अब आपके शव को मुखाग्नि देने की घड़ी आई है।
अब मेरा ख्याल रखेगा कौन अब मेरी ढाल बनेगा कौन
अब मुझे चॉकलेट दिलाएगा कौन
अब मुझे अम्मा की मार से बचाएगा कौन
अब मेरी राखी को अपने कलाई पे सजाएगा कौन
रक्षाबंधन के दिन ये कैसी घटना है घटी
एक छोटी बहना के सामने एक भाई की शव है पड़ी
तुम वापस आओगे तुमने कॉल करके ऐसा बताया था
इस बार रक्षाबंधन पे जरूर आओगे ऐसा तुमने बताया था
इस बार मेरे लिए टेडीबियर लाओगे ऐसा तुमने बताया था
मेरी भैया को मुखाग्नि थोड़ा थम के दो
थोड़ा मुझे राखी और आरती उतारने दो
अब मैं रक्षाबंधन कैसे मनाऊंगी भैया
अब आपके बिना मैं जीवित कैसे रहूंगी भैया