आ गया दिसंबर
आ गया दिसंबर
लो आ गया मास दिसंबर।
अब फिर बदलेंगे कैलेंडर।
जीवन का अब यह बवंडर
क्या मिलेगा नए साल में भी अंदर।
या पार हम पा जाएंगे।
नए साल में छा जाएंगे।
कुछ खास किया नहीं इस साल
जीवन में मचा था बवाल।
मुसकुराएंगे क्या अगले साल
या यूं ही रोते जाएंगे?
झगड़े साथ आएंगे।
लो आ गया मांस दिसंबर बदलेगा अब यह कैलेंडर।
देखना क्या खोएंगे?
देखना क्या पाएंगे?
