कोरोना योद्धा
कोरोना योद्धा
देखा नहीं कभी भी मैंने,
हे ईश्वर तू कैसा है,
संकट की इस कठिन घड़ी में,
ऐसे क्यों चुप बैठा है…
हाहाकार चहूं ओर मची है,
बाहर लक्ष्मण रेखा है,
सहमे हुए डरे सब व्याकुल,
कोरोना ये ऐसा है…
देवदूत से लगे चिकित्सक,
भूल गए घर बार भला,
नहीं फ़िकर खुद की भी इनको,
मौत के मुंह में आन खड़ा…
सेवा करते-करते कितने,
छोड़ के निज संसार चले,
नमन करो ए दुनिया वालों,
हम इनके एहसान तले…
कड़ी धूप की मार झेलते,
पत्थर कभी तो वार झेलते,
हाय ये कैसा मानव है तू,
लड़े जो अपनी जान खेलते…
देवदूत खाखी मे उनका,
ऐसे ना अपमान करो,
करोना को रोक खड़े ये,
जिसमें ठानी बढ़े चलो….
नमन उन्हें मैं करता हूं जो,
सेवा में दिन-रात लगे,
हर मानव वह देवदूत जो,
आगे बढ़ कर मदद करे….