वैदेही
वैदेही
वैदेही को छल से हर के,
ले आया निज धाम,
अज्ञानी पापी रावण को,
नहीं जरा भी भान…
कर विलाप बैठी वैदेही,
जपती हैं श्री राम,
शीघ्र आर्य सुत आ जाओ तुम,
वैदेही निष्प्राण …
करो विनाश अधर्मी का इस,
करो जगत कल्याण,
रामचंद्र जी चले हैं हरने,
लंकेश्वर के प्राण….