Sarvesh Saxena

Comedy Drama Others

4  

Sarvesh Saxena

Comedy Drama Others

रसगुल्ले

रसगुल्ले

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कैसा मुआ करोना आया, मीठा खाने को तरसाया.. 

घर पर बैठे-बैठे मैंने, फोटो देख के काम चलाया.. 

फिर एक दिन हिम्मत करके, मैंने पत्नी को समझाया.. 

छेने खाने को आतुर मन, ऐसा कहकर प्यार जताया.. 

पत्नी देने लगी सफाई, मोदी जी की बात बताई.. 

खुद खाना है खुद ही बनाओ, आत्मनिर्भर बन के दिखाओ.. 

मैंने भी फिर शर्त लगाई, बन के रहेगी आज मिठाई.. 

फ्रिज से दो किलो दूध निकाला, गैस जलाकर उसे उबाला.. 

हल्का-हल्का उबाल आया, मिला नींबू रस उसे चलाया.. 

दूध लगा अब कुछ कुछ फटने, छान के उसको अलग निकाला.. 

ठंडे पानी से धो कर फिर, बांध कपड़े में उसे दबाया.. 

आधे घंटे बाद निकाला, दूध बन गया पनीर आला.. 

असली मेहनत अब करनी थी, सोच कर मुझको पसीना आया.. 

थाली में फिर पनीर डाला, चम्मच चार मैदा डाला.. 

मार मार कर पनीर को, बिल्कुल ही भरता कर डाला.. 

पत्नी देख बजाए चुटकी, मारा इतना रही ना फुटकी.. 

पनीर छेने लायक हो गया, एक किनारे ढक के रख दिया.. 

चाशनी अब थी मुझे बनानी, करके रहूंगा आज जो ठानी..

झट से मैंने गैस जलाई, दो ग्लास पानी और चीनी मिलाई.. 

पनीर के ऐसे बॉल बनाए, दरार एक भी नहीं दिखाए.. 

चीनी पिघल खौलने आई, पिसी इलायची उसमें मिलाई.. 

डाले बॉल चाशनी में सब, लगे खौलने अंडे से अब.. 

ढककर भगोना गैस बढ़ाई, देख श्रीमती मुझे मुस्काई.. 

कुछ देर बाद जब ढक्कन खोला, मेरा मन अब उछल के दौड़ा.. 

छेने सब अब फूल गए थे, खूब चाशनी में डूब गए थे.. 

थोड़ी देर तक और पकाया, अंदर अंदर मैं हर्षाया.. 

एक कटोरी में छेने सजाए, मिलकर पत्नी संग उड़ाए..

आप भी सीखो और बनाओ, खुद खाओ और सबको खिलाओ



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