रोटी
रोटी
रोटी का है खेल निराला
कभी किसी को भर पेट मिलती है तो कभी किसी को आधी
कहने को तो है वोह आटे की गोली
पर है जिंदगी मे बहुत ही जरूरी
पूरी दुनिया को अपने इशारो पर नचाती है
दिन रात मेहनत करने पर मिलती है
कभी किसी को आसानी से मिल जाती है
तो कभी किसी को मेहनत करने के बाद
खेल है निराला रोटी का
रोटी इंसान को इंसान से लड़ा देती है
रोटी इंसान को इंसान से जानवर भी बना देती है
रोटी हमारी भूख मिटाती है
रोटी हमे जीना सिखाती है
रोटी हमे परिश्रम करना सिखाती है
इस रोटी के लिए लोग भटकते है देश विदेश
बच्चो के रोटी के खातिर माँ सो जाती है भुखे पेट
रोटी का है खेल निराला
करवाती है शोषण अमीरोे से
गरीबों की है अन्नदाता
यह रोटी बड़ा खेल खिलवाती है
कद्र करो इस रोटी की
क्यूँकि यह यही रोटी जिंदगी को सही मतलब मे जीना सिखाती है।
