कब क्या हो जाए पता नही चलता
कब क्या हो जाए पता नही चलता


किसी पर भरोसा मत रको
क्योंकि जब वो टूटता है तो बहुत दर्द होता है
आज कल कौन कब बदल जाए पता नहीं चलता
आज कल कब दोस्त दुश्मन बन जाए पता नहीं चलता
आज कल रिश्तों से डर लगता है
खुश रहने के लिए कोशिश करता हूँ
अकेले रहने की आदत डाल रहा हूँ
क्योंकि यह ज़माने में कौन कब बदल जाए पता नहीं चलता
दिल जीत कर उसे तोड़ दे और कब अनजान बन जाए पता ही नहीं चलता
इस बेरहम दुनिया में कब क्या हो जाए पता नहीं चलता
बस जीना है जब तक भुलावा न आ जाए
क्या पता सांस बन्द हो जाए और कब अलविदा कहकर चला जाऊँ
ज़िन्दगी बहुत अजीब है
कब क्या हो जाए पता नही चलता