जिंदगी कितनी अजीब है
जिंदगी कितनी अजीब है


जिंदगी कितनी अजीब है
जब हम किसी पे बरोसा नही करते
तोह वोह इंसान पूरी कोशिश करता है की वोह हम पर बरोसा करे
जब हम उस पर बरोसा करने लगते है
प्यार करने लगते है
तभी वोह हम छोड़ कर
दिल तोड़ कर चल जाता है
हम उसे मिनते करते है की
तुम्हारा वोह प्यार कहा गया
तोह वोह इंसान केहते है
मुझे तुम प्यार था ही नही
इस सबध से दिमाक गुम जाता है
फेरो के नीचे से ज़मीन नाकिल जाती है
पैरों के नीचे से ज़मीन निकल जाती है
हमारी जिंदगी मैं अधेरा ही अधेरा चा जाता है
फिर एक नया पंछी आता है
हम फिर जीने की उम्मीद देना
फिर रोशनी ही रोशनी लगाती है
जिंदगी मैं
फिर वोह एक दिन दिल तोड़ता है
इसलिए कभी भी दिल न लगाना चाहिए
अपने माता और पिता के साथ रहो
खुश रहो क्युकी उनके शिवा हमारा कोइ अच्छा नही चहता