मोह न रखते तन, मन, धन से, वो वर्दी पहनकर निकल पड़े।। मोह न रखते तन, मन, धन से, वो वर्दी पहनकर निकल पड़े।।
काम बनें आसान, जगत की पीर मिटावे काम बनें आसान, जगत की पीर मिटावे
दूध देखने के लिए कहा था और इतना सा काम आपसे नहीं होता दूध देखने के लिए कहा था और इतना सा काम आपसे नहीं होता
दिया तो था आपने फल-फूल, मैं पका के खाने लगा, अब चूल्हा-गैस हुई महंगी, तो आँसु बहाने लगा! दिया तो था आपने फल-फूल, मैं पका के खाने लगा, अब चूल्हा-गैस हुई महंगी, तो आँसु...