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Ashim Srivastava

Abstract

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Ashim Srivastava

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मेरा जीवन-मेरे शब्द

मेरा जीवन-मेरे शब्द

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दिया तो था आपने फल-फूल,

मैं पका के खाने लगा,

अब चूल्हा-गैस हुई महंगी,

तो आँसु बहाने लगा!


गुफाये थी, घने पेड़ थे

पर मुझे घर बनाना था,

और कर्ज में डूब कर,

अपना जीवन बिताना था,


बदलते मौसम थे, नदी थी,

हरा भरा जंगल था,

सबका काम बटा था,

हर तरफ मंगल था!


शहर बसाने की चाहत में हम

सब गवा गए,

शुद्ध हवा, शुद्ध पानी,

अब सब कहा गए!


भगवान ये जीवन तेरा है,

ये सब भी है तेरे शब्द,

नतमस्तक हुँ मै,

जुबाँ मेरे है निःशब्द!!


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