Ashim Srivastava
Abstract
कई बार तेरे गालो को चूमा,
कई बार लबों तक आया हूँ,
अंधेरो में भी साथ हो जो,
मै वही तुम्हरा साया हूँ
खुद नजरो से गिरा कर तूने,
फिर नजरो तक लाया है,
किसी ने पूछा जो नाम मेरा,
मैंने आंसू उसे बताया है।
बहना
मै इतनी पराई ...
रक्षाबंधन
"न हो परिचय त...
आंसू
माँ तेरा प्या...
कश्मकश
"प्रवासी मज़दू...
"यादें"
जज्बात
ख़ुदी मिटा कर दूजों को अपनाती हूँ मैं, फिर भी किसी के ध्यान कभी नहीं आती हूँ मैं। ख़ुदी मिटा कर दूजों को अपनाती हूँ मैं, फिर भी किसी के ध्यान कभी नहीं आती हूँ म...
और मेरी इस कविता को तुम पढ़ना चाहोगे बार बार। और मेरी इस कविता को तुम पढ़ना चाहोगे बार बार।
तुम कभी ये कह नहीं सकते किस में कम किस में ज्यादा है। तुम कभी ये कह नहीं सकते किस में कम किस में ज्यादा है।
दो पल ही खिलना यहाँ, फिर सब माटी धूल। दो पल ही खिलना यहाँ, फिर सब माटी धूल।
आ गए वापिस फिर से मेरे पास क्या काम है बोलो तभी आए हो इधर आ गए वापिस फिर से मेरे पास क्या काम है बोलो तभी आए हो इधर
जब मैं बोल भी नहीं पाता था.. सिर्फ़ मेरे इशारों से मैंने उन्हें हर ख्वाहिश पूरा करते दे जब मैं बोल भी नहीं पाता था.. सिर्फ़ मेरे इशारों से मैंने उन्हें हर ख्वाहिश पूर...
वो सिरहाने पड़ा सपना यह बड़ा शहर भी क्या चीज़ है ना ! वो सिरहाने पड़ा सपना यह बड़ा शहर भी क्या चीज़ है ना !
क्रोध मेरे आकाश को आया और लगा वो तुम्हें दिखाने बहुत जतन से मना रही हूँ कह कर कि तुम बदल जाओगे... क्रोध मेरे आकाश को आया और लगा वो तुम्हें दिखाने बहुत जतन से मना रही हूँ कह कर क...
अपने सतीत्व के लिए अग्नि परीक्षा देती हैं। न जाने कैसी होती हैं ये स्त्रियां ? अपने सतीत्व के लिए अग्नि परीक्षा देती हैं। न जाने कैसी होती हैं ये स्त्र...
सपनों में जगह नहीं होती है निराशा की, खुशियों की चाहत हमें भर जाती है। सपनों में जगह नहीं होती है निराशा की, खुशियों की चाहत हमें भर जाती है।
रावण को देखा, फिर शीश झुकाया उसने बड़े प्यार से मुझे उठाया गले लगाया, मेरी पीठ थपथपाया रावण को देखा, फिर शीश झुकाया उसने बड़े प्यार से मुझे उठाया गले लगाया, मेरी ...
जो विकसित हो कर सपनों को साकार बनाये। जो विकसित हो कर सपनों को साकार बनाये।
मन उदास हो गया और फिर मेरा ‘गंतव्य’ आ गया। मन उदास हो गया और फिर मेरा ‘गंतव्य’ आ गया।
तब हरेक बिस्तर के पास एक पियानो भी होना चाहिये। तब हरेक बिस्तर के पास एक पियानो भी होना चाहिये।
इसीलिए मुझसे ही मुझको, कई बार तूने ही मिलवाया है। इसीलिए मुझसे ही मुझको, कई बार तूने ही मिलवाया है।
तेरा बुत बनू और बंद रहूँ मंदिर के तालों में, तेरा बुत बनू और बंद रहूँ मंदिर के तालों में,
डूबने वाले का उदय निश्चित है बस भोर का इंतज़ार करने में आलस ना हो। डूबने वाले का उदय निश्चित है बस भोर का इंतज़ार करने में आलस ना हो।
इसलिये ही हर घर के किवाड़ में, दिखता है सिर्फ़ एक ही पल्ला ! इसलिये ही हर घर के किवाड़ में, दिखता है सिर्फ़ एक ही पल्ला !
जीवन बदल दिया । शब्द नाद ने ब्रह्मांड को गुंजित कर दिया । जीवन बदल दिया । शब्द नाद ने ब्रह्मांड को गुंजित कर दिया ।
इसकी गोद में सिर रखकर अब हम इतने बड़े हुए, यह जननी माता प्यारी, हम सबकी पालन हारी, इसकी गोद में सिर रखकर अब हम इतने बड़े हुए, यह जननी माता प्यारी, हम सबकी पालन...