नीला अंबर...। नीला अंबर...।
चलो, फिर से अजनबी हो जाएँ...। चलो, फिर से अजनबी हो जाएँ...।
ग़ज़ल - ए - हयात ग़ज़ल - ए - हयात
काश कोई दर्द भी बाँट सकता। काश कोई दर्द भी बाँट सकता।
अब ये ज़रूरी तो नहीं कि हर बात पे रोया जाऐ अब ये ज़रूरी तो नहीं कि हर बात पे रोया जाऐ
क्यों आँँसू के रंग अनेक ? लहू के रंग अनेक...! क्यों आँँसू के रंग अनेक ? लहू के रंग अनेक...!